प्रेमाश्रम--मुंशी प्रेमचंद

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... प्रभात का समय था। लाला प्रभाशंकर ब्राह्मणों को दक्षिणा देकर घर चले गये थे। प्रेमशंकर अपनी चारपाई पर तकिये के सहारे बैठे हुए हाजीपुर की तरफ चिन्तामय नेत्रों से देख ...

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